Thursday 16 August, 2007

परमाणु समझौता : रोजगार और संसाधनिक विकास में योगदान

हाल में भारत और अमेरिका के बीच सम्पन्न हुए परमाणु समझौते से भारत को राजनैतिक,कूटनीतिक और सामरिक लाभ की संभावना पर तर्क-कुतर्क संभावित है,लेकिन इस परमाणु समझौते पर हुए दोनो देशों की सहमती से संसाधनिक मसलन बिजली,पानी,कृषि और रोजगार विकास लगभग संभावित है!
परमाणु समझौते से एअक तरफ जहाँ बिजली की समस्या से निजात मिलने की पूरी संभावना है,दूसरे सापेक्ष रूप से इसका असर हमारे ग़ैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोतों जैसे कोयला,पैट्रोल, डीजल इत्यादी अन्य पेट्रोलियम पदार्थों पर हमारी निर्भरता और विवशता भी कम हो जायेगी ! परमाणु ऊर्जा से बिजली उत्पादन से पानी को जहाँ कृषि,उद्योग और व्यापर के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा ,वहीँ इससे कृषि उत्पादकता ,लागत और लाभ से सुधार की गुंजाईश के अतिरिक्त पानी की उपलब्धता भी सुनिश्चित हो सकेगी
इसमें कोई दो मत नही है कि कृषि छोड़कर शहर आने वाले मजदूर-किसान कृषि उत्पादकता ,लागत और लाभ में हासिल शून्यता के कारण ही सहर में रोजगार तलाशते हैं,लेकिन सस्ती बिजली,पानी और सिंचाई के लिए आवश्यक पानी की उपलब्धता उनकी कृषि लागत को कम करेगी ही,उनके कृषि उत्पादन और लाभ को भी बढ़ायेगी ! शहरी पलायन बंद होने में थोडा समय जरूर लग सकता है,लेकिन आने वाले समय में ग्रामीण जीवन स्तर में सुधार की पूरी गुंजाईश दीखती है,क्योंकी कृषि उत्पादन में खुदरा कारोबारी व बडे व्यापारियों के दखल से किसानों को सब्जी,फल और अनाज का बेहतर दाम मिलना संभावित है और कृषि लागत कम होने से एक तो किसान कि कमाई में वृद्धि होगी,दूसरे सिंचाई के लिए पानी और बिजली की उपलब्धता से फसल को सूखने और नुक़सान का खतरा भी कम होगा,तीसरे बिजली उत्पादन के लिए बडे बाधों के निर्माण पर भी अंकुश लग पायेगा और कृषि और कृषि जनित कार्यों से जुडे लोगों को मुनाफा मिल सकेगा,चौथा बेरोजगारी कि समस्या भी हद तक सुधारी जा सकेगी !
वजह युवाओं से कृषि से मोह्भंगता का कारण लाभ शून्यता है,जो बिजली ,पानी और अन्य कृषि जनित उपकरणों व तकनीकी जैसे डीजल इंजन,नलकूप,ट्रैक्टर-ट्राली और इंधन चालित उपकरण सस्ते होने से कृषि की तरफ लोगों का रूझान वापस लौटने की पूरी संभावना है,दूसरे कृषि फसलों का बाज़ार जिस तरह से फैला है उससे रोजगार के अवसर भी तेज़ी से बढ़े हैं.इससे उन किसानों-मजदूरों और उनके बच्चों को गाँव से बाहर रोजगार तलाशने की आवश्यकता कम दीखती है और बेरोजगारी की भयावह समस्या से उपजे अपराध ,मारकाट ,चोरी,अपहरण और अब आतंकवाद जैसे अंधकार से युवाओं और समाज को बचाने में भी मदद मिलेगी !
कृषि और ग्रामीण समाज की उन्नति ही किसी देश की प्रगति कही जाती है! उन्नतशील किसानों से एक तरफ जहाँ ग्रामीण समाज के खान-पान ,पहनावा,स्वस्थ्या ,शिक्षा और जीवन स्तर में सुधार आएगा ,दूसरी तरफ बदलते परिवेश में भारत की राजनैतिक और आर्थिक हैसियत की वृद्धि की संभावना से इंकार नही किया जाना चाहिऐ !

Wednesday 15 August, 2007

परमाणु समझौता:रोजगार और संसाधनिक विकास में योगदान

हाल ही में भारत और अमेरिका के बीच सम्पन्न हुए परमाणु समझौते

कसक


जो कहना है क्यों दिल में रखते हो!
खुद पे रोते हो औरों पे हँसते हो!

बात करने की लोंगों से कहते हो!
पास जाकर क्यों सहमें से रहते हो!

आजकल से नही कब से डरते हो!
अपनी बातों से प्रायः मुकरते हो!!
जीत कर हार से क्यों झगड़ते हो!!!

जो कहना है क्यों दिल में रखते हो!
खुद पे रोते हो औरों पे हँसते हो!!

दांव लगने दो जैसे भी लगता है!!
उसको जलने दो जो तुमसे जलता हो!
होगा बेकार तुम क्यों समझते हो!

राग को रोग सा क्यों बनाते हो!!
साज़ को सेज सा क्यों सजाते हो!!!
हाँथ को रोकलो क्यों बिछाते हो!
कह दो,कहना है जो क्यों बरगलाते हो!!
जो भी कहना क्यों दिल में रखते हो!
खुद पे रोते हो औरों पे ……?
“यश फैज़”